06 जून, 2023

दिल की ख़ूबसूरती

शायद वो लौट आए, बज़्म में भूली याद की तरह,
अपने दर्द वो अलम को यूँ ही सहलाए रखिये ,

फ़िज़ा ओ वादी में फिर धूप खिली है सहमी सहमी
अहाते दिल के कुछ मौसमी फूल सजाये रखिये,

न जाने किस मोड़ पे उसका पता लिखा हो ऐ दोस्त,
क़दीम ख़तूत से दिल को यूँ ही बहलाए रखिये,

हर दर पे है रौशन चिराग़ इस स्याह रात में फिर भी,
अंधेरों से भी अक्सर वाबस्तगी निभाए रखिये ,

चाँद ढलते फिर उठीं हैं जाग साहिल की सिसकियाँ,
परछाइयों से भी कभी कभी दामन बचाए रखिये,

आइना है बहोत ज़िद्दी, कोई समझौता न करना चाहे,
बीती लम्हात के कुछ अक्स दिल में बसाये रखिये ,

निगाह अश्क से थे लबरेज़ अहसास ए शबनम सही,
दिल की ख़ूबसूरती, यूँ ही मेरे दोस्त बनाये रखिये ,
- शांतनु सान्याल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अतीत के पृष्ठों से - - Pages from Past