14 सितंबर, 2012

ज़माना हुआ - -


नाकाम रहीं सभी कोशिशें, उसे जलना था 
परवाने की मानिंद सो वो जल गया, 
न आवाज़ ही सुनी न कोई 
ताकीद का असर, न 
जाने क्या था 
उसके 
दिल में, ख़ामोश आतिशफिशां या ठहरा 
तूफ़ान कोई, पलक झपकते वो 
मचल गया, देखते, देखते 
ही वो दोनों जहाँ से 
कहीं बहोत 
आगे 
तन्हा, जलते पांव निकल गया, सदाएं जो 
लौट आईं छू कर उसका तपता बदन,
वादियों में गूंजती रहीं मुद्दतों, 
ज़माना हुआ बहार को 
इस तरफ आए 
हुए - -

- शांतनु सान्याल 
alley at night - no idea about painter 

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