17 अप्रैल, 2023

कोई निशानी - -

रख जा कोई तो निशानी दिल पे मनफ़र्द

ख़ुश्बू की तरह, लिखा है जिस्म ओ 
जां पर किसी का नाम हमने,
लाज़वाल सुलगती इक 
आरज़ू की तरह, 
रंग जाए 
जो रूह तलक, दे जा कोई हिना ए इब्दी 
पुरअसर किसी इल्ही क़ाबू की 
तरह, वो तेरी चाहत कम 
तो नहीं, किसी मसफ़ा
ज़िन्दगी से, ले 
चल फिर 
मुझे चाहे जिधर राह ए निजात की - - -
जानिब !

- शांतनु सान्याल 

मनफ़र्द - निराली 
लाज़वाल - शाश्वत
 इब्दी - अनंत 
इल्ही - दैवी
मसफ़ा - परिशुद्ध
निजात - मुक्ति 

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