24 अगस्त, 2013

अहसास ख़ालिस - -

वो अहसास ख़ालिस जिसमें हो शामिल इश्क़ 
आलमगीर, रंग रूप नश्ल के तफ़ावत 
से जुदा, इक ऐसा फ़लसफ़ा ए 
ज़िन्दगी, जिसमें हर 
चेहरा लगे,
खिलता हुआ गुल ताज़ा, हर नफ़्स में उभरे -
ख़ुशबू ए इंसानियत, वगरना बेमानी 
हैं सभी तामीर ए ज़ियारत -
गाह, अक्स ख़ुदा होता 
नहीं है शामिल,
अगर - - 
दस्त दुआ न हो सफ़ाफ़ दिल वाला - - - - - - 
* * 
- शांतनु सान्याल 

http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
rare flower - -

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