17 नवंबर, 2013

कुछ और वक़्त लीजिए - -

अभी तो सिर्फ़ देखा है मुझे, चिलमनों 
की सरसराहट में कहीं तुमने,
अभी राज़े मुहोब्बत है 
बहोत बाक़ी !
न करो अंदाज़ ए बारिश हवाओं के - -
रुख़ से, कहीं रह न जाए दिल 
ही दिल में, भीगने की 
ख्वाहिश, किसी 
मलऊन 
सहरा की मानिंद, अभी तो ज़िन्दगी -
का सफ़र है, नुक़ता ए आग़ाज़ 
पे कहीं, अभी निगाहों 
से परे है मेरे 
दिल की 
ज़मीं, अभी तक राह आतिश, तुमने -
देखा ही नहीं, कुछ और वक़्त 
लीजिए ख़ालिस सोने 
में बदलने के 
लिए !

* * 
- शांतनु सान्याल 

http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
art by barbara fox 3

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