12 मई, 2014

लकीर ए फ़रेब - -

ज़िन्दगी में कई बार यूँ भी होता है,
जिन्हें हम ग़ैर समझते हैं 
वही शख़्स दिल के 
बहुत नज़दीक 
होता है, 
दरअसल जौहरी की नज़र चाहिए, 
रौशनाई की असलियत 
जानने के लिए, इक 
नज़र में पीतल
भी, सोने 
के बहुत क़रीब होता है, उनकी - - 
मुस्कान है बहुत पुरअसरार,
हक़ीक़त जानना नहीं 
आसां, कि दिल 
में छुपा 
है क्या, असल में लकीर ए फ़रेब 
बहुत बारीक होता है, जिन्हें
हम ग़ैर समझते हैं 
वही शख़्स 
दिल के 
बहुत नज़दीक होता है - - - - - - - !

* * 
- शांतनु सान्याल 

http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
beyond the dream

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