25 सितंबर, 2023

ख़िराज ए शायरी - -

दुनिया की निगाहों से बच के निकलना
है बहोत आसां, मुश्किल हो बहोत
जब, अक्स चाहे सूरत ए हिसाब
अपना, वो आदमी जो
उम्र भर ओढ़ता
रहा जाली
चेहरा, आख़री वक़्त था बहोत बेबस - -
इक वाक़िफ़ आईने के लिए,
दरअसल, हम ख़ुद ही
लिखते हैं अपने
लिए ख़िराज
ए शायरी !
ज़िन्दगी भर का किरदार रहता है दर्ज,
नमूंदार आख़रीन नफ़स में - -

* *
- शांतनु सान्याल  

دنیا کی نگاہوں سے بچ کے نکلنا
ہے بهوت آساں ، مشکل ہو بهوت
جب، عکس چاہے صورت حساب
اپنا، وہ آدمی جو
عمر بھر اوڑھتا
رہا جعلی
چہرہ، آخری وقت تھا بهوت بے بس - -
اک واقف آئینے کے لئے،
دراصل، ہم خود ہی
لکھتے ہیں اپنے
لئے خراج
اے شاعری!
زندگی بھر کا کردار رہتا ہے درج،
نمودار آخرین نفس میں - -

* *
-  شانتنو سانیال



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अतीत के पृष्ठों से - - Pages from Past